जब जब हम अरब की सभ्यता, ज्ञानिक पुस्तक, अविश्कार और उनकी कलाओं में विचार करते हैं, तो हमारे सामने नये रहस्य और व्यापक संभावनायें स्पष्ट होती हैं। फिर हम तुरन्त ही यह स्वीकार करलेते हैं कि पूर्व काल के ज्ञान को मध्ययुगीन तक पहुँचाने में अरब के लोग ही महत्वपूर्ण भूमिका निभायें हैं। पाँच सदियों तक पश्चिम की विश्वविद्यालायों में अरब की लिखित पुस्तकों से हट कर कोई और उनके पास ज्ञान का स्त्रोत नही था। उन ही लोगों ने भौतिक, मान्सिक और चारित्रिक रूप से पश्चिम को उच्च सभ्यतावान बनाया । इतीहास में कोई ऐसी ख़ौम नही है, जो कम ही समय में अरब के प्रकार वैज्ञानिक विकास किया हो, और कोई ख़ौम कलात्मक आविष्कारों में अरब से आगे नही बड़ी है ।