स्त्री का स्थान

स्त्री का स्थान
इस्लाम ने अरब देश में स्त्री के स्थान को ऊँचा किया। लडकियों को ज़िन्दा दफ़न करने के रिवाज को समाप्त किया। न्यायिक कार्यों और संपत्ती के अधिकारों में स्त्री और पुरुष के बीच समान्ता का निर्णन दिया, स्त्री को हर हलाल काम करने, अपनी संपत्ती और धन की स्वयं सुरक्षा करने, वारीस बनने, और इच्छा के अनुसार अपने धन को ख़र्च करने का अधिकार दिया है। इस्लाम ने अज्ञानपूर्ण काल में वास्तुओं के समान स्त्रियों का वंशानुक्रम से संतान की संपत्ती बन जाने की परंपरा को समाप्त किया। विरासत में पुरुष के भाग से आधा स्त्री का भाग माना। स्त्रियों की इच्छा के बिना उनका विवाह करने से रोका ।


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