ईसाई धर्म को मोहम्मद (स) ने ईसा मसी के अनुसार उसके नियमों तक पहुँचाने का निश्चय किया था, वह धर्म बोलिस की ओर से फैलाई हुई गुप्त उपदेश, और ईसाई समुदयों की ओर से मिलाई हुई भयानक तृटियों से बिलकुल विपरीत है। निश्चित रुप से मोहम्मद सल्ललाहु व सल्लम की आशा और तमन्ना ये भी के इब्राहीम के धर्म की बरकत सिर्फ अपनी लोक के लिए आवंटन ना करें, बल्कि सारे लोगों को यह बरकत घेर ले। निश्चित रुप से आपका धर्म लाखों मनुष्यों के हिदायत और शिक्षा का साधन बना। अगर यह धर्म ना होता तो लोग दरिद्रंगी और अन्याय में डूबे हुए होते, और न उनके पास इस्लाम धर्म की दी हुई भाई चारगी होती।