मोहम्मद सल्ललाहू अलैही व सल्लम निश्चित रुप से ऐतिहासिक व्यक्ति है। अगर आप न होते इस्लाम धर्म न बढ़ता ना फैलता। आपने यह कहने में कभी झिजक महसूस नही की कि वह दूसरों की तरह एक मनुष्य है। जिनको मृत्यु आती है, और न यह कहने में हिच किचाया कि आप अल्लाह से माफी और क्षमा माँगते हैं। आपने अपनी मृत्यु से पहले स्वयं से हुई गलतियों से अपने आप को साफ करने का निश्चय किया फिर आप मेंमबर पर धर्मेपदेश के लिए खडे हो गये और यह कहा-ऐ मुसलमानं अगर मैं किसी को चोंट पहुँचाई होतो यह मेरी पीठ है वह अपना बदला ले लें, या अगर मैं किसी का माल छीना हो तो मेरा माल उसकी संपत्ति है।