इस्लाम की अनोखी बात यह है कि वह बुद्धिमता पर आधारित है। वह अपने भक्तों से देवत्व महात्वपूर्ण राज्य को कभी भी बेकार समझने का संदेश नही दिया। इसी प्रकार से इस्लाम खोज और ज्ञान पर आधारित प्रश्नों से लगाव रखता है और अपने भक्तों को आदेश देता है कि वे इस्लाम लाने से पहले सोंच-विचार और बुद्धि से काम लें। निश्चय इस्लाम सही बातों का सबूत तलाश करो और भलाई को चुनलो, की बुद्धिमत्ता का पूरा समर्थन करता है, यह कोई नई बात नही है, इसलिए कि भलाई ईमान वालों के लिये उनकी अपनी खोई हुई चीज़ है, जहाँ भी वे उसे पालें वही उसका ज़्यादा अधिकार रखते हैं। इस्लाम बुद्धिमत्ता और तक्र का धर्म है, इसी कारण ईशवर के नबी मुहम्मद पर आने वाला पहला संदेश “पढ़ो” है, इसी कारण ईमान लाने से पहले सोंच-विचार की ओर बुलाना इस्लाम का नारा है। इस्लाम सत्य है, उसका हत्यार ज्ञान है, और उसका गहरा दुशमन अज्ञान है।