जब आप अल्लाह को जान लें, उसके वजूद का विश्वास कर लें, तो इस्लाम आप से यह कहेगा कि ईशवर गले की नस से भी अधिक आप से निकट है। इसीलिए आप के और ईशवर के बीच किसी दलाल की आवश्यकता नही है। न किसी जोतिशी कि ज़रूरत है, जिस को आप (महान) स्विकार करलें, फ़िर वह आपकि तौबा खुबूल करे। या किसी ऐसे केन्द्र की अवश्यकता नही है कि केवल उसी के अंदर प्रार्थना पूर्ण होती हो ।