निश्चय मरियम के पिता बनी इस्राईल के एक नेक आदमी थे। जो अल्लाह के नबी दाऊद की नस्ल के पवित्र इम्रान घराने से थे। मरियम की माँ को गर्भ नही ठहरता था, उन्हें बच्चों की इच्छा थी, तो वह यह व्रत रखी कि अगर वह गर्भवती बने तो उनका बच्चा ईशवर के लिये कुर्बान है, यानी ईशवर के घर की सेवा के लिए भेंट कर दिया। याद करो जब इमरान की स्त्री ने कहा, मेरे रब। जो बच्चा मेरे पेट में है उसे मैंने हर चीज़ से छुड़ाकर भेंट स्वरूप तुझे अर्पित किया । अतः तू उसे मेरी ओर से स्वीकार कर । निस्संदेह तू सब कुछ सुनता, जानता है। फिर जब उसके यहाँ बच्ची पैदा हुई तो उसने कहा, मेरे रब। मेरे यहाँ तो लड़की पैदा हुई है अल्लाह तो जानता ही था जो कुछ उसके यहाँ पैदा हुआ था। और लडका उस लडकी की तरह नहीं हो सकता- और मैंने उसका नाम मरयम रखा है। और मैं उसे और उसकी संतान को तिरस्कृत शैतान (के उपद्रव) से सुरक्षित रखने के लिए तेरी शरण में देती हूँ। (अले-इमरान, 35-36)
ईशवर ने मरयम के माँ की भेंट को स्वीकार कर लिया। अतः उसके रब ने उसका अच्छी स्वीकृति के साथ स्वागत किया और उत्तम रूप में उसे परवान चढाया। (आले-इमरान, 37)
यानी अच्छा रूप, खूबसूरती और नेक लोगों के मार्ग पर उन्हें चलाया, इसी कारण ईशवर ने यह कहा । और ज़करिय्या को उसका संरक्षक बनाया । (आले-इमरान, 37)
परन्तु ईशवर ने मरियम पर यह कृपा कि, उनका संरक्षक भी नबी था। कुछ लोगों का ख्याल है कि वह मरियम की मौसी या उनकी बहन के पति थे। जब कभी ज़करिय्या उसके पास मेहराब (इबादतगाह) में जाता तो उसके पास कुछ रोज़ी पाता। उसने कहा, ऐ मरियम। ये चीज़ें तुझे कहाँ से मिलती है? उसने कहा, यह अल्लाह के पास से है। निस्संदेह अल्लाह जिसे चाहता है, बे-हिसाब रोज़ी देता है। (आले-इमरान, 37)
यह ईशवर की ओर से मरयम के लिए सम्मान था। ईशवर ने मरयम को सम्मान, पवित्रता प्रदान की और उन्हें ईशवर की प्रार्थना करने का आदेश दिया। और जब फ़रिशतों ने कहा, ऐ मरयम। अल्लाह ने तुझे चुन लिया और तुझे पवित्रता प्रदान की और तुझे संसार की स्त्रियों के मुक़ाबले में चुन लिया। ऐ मरयम। पूरी निष्ठा के साथ अपने रब की आज्ञा का पालन करती रह, और सजदा कर और झुकनेवालों के साथ तू भी झुकती रह। (आले-इमरान, 42,43)
फिर जब ईशवर ईसा को पैदा करना चाहा, तो मरयम अपने परिवार से अलग हो गई । और इस किताब में मरयम की चर्चा करो, जब कि वह अपने घरवालों से अलग होकर एक पूर्वी स्थान पर चली गई। फिर उसने उनसे (लोगों से) परदा कर लिया। तब हमने उसके पास अपनी रूह (फ़रिश्ते) को भेजा और वह उसके सामने एक पूर्ण मनुष्य के रूप में प्रकट हुआ। (मरयम, 16-17)
मरयम डर गयी और यह अनुमान लगाया कि वह उनके साथ कुछ ग़लत करने की इच्छा रखता है। वह बोल उठी, मैं तुझसे बचने के लिए रहमान (करुणामय प्रभु) की पनाह माँगती हूँ, यदी तू (अल्लाह का) डर रखनेवाला है (तो यहाँ से हट जाएगा)। उसने कहा, मैं तो केवल तेरे रब का भेजा हुआ हूँ ताकि तुझे नेकी और भलाई में बढ़ा हुआ लड़का दूँ। (मरयम, 18-19)
कुंआरी मरयम बडी आश्चर्य हुई । वह बोली, मेरे कहाँ से लड़का होगा जब कि मुझे किसी आदमी ने छुआ तक नहीं और न मैं कोई बदचलन हूँ ? (मरयम, 20)
उसने कहा ईशवर का यही निर्णय है वह लड़के को अपनी निशानी बनाना चाहता है। यह काम ईशवर के लिए बहुत आसान है। उसने कहा, ऐसा ही होगा। तेरे रब ने कहा है कि यह मेरे लिए आसान है। और इसलिए देगा । (ताकि हम तुझे) और ताकि हम उसे लोगों के लिए एक निशानी बनाएँ और अपनी ओर से एक दयालुता। यह तो एक ऐसी बात है जिसका निर्णय हो चुका है। (मरयम, 21)
ईसा को उस पवित्र माँ से पैदा करना, जो बदचलन नहीं थी, और बिना बाप के पैदा करना, यह ईशवर की ओर से एक दया और अपने निर्णय को लागू करना है। ईसा की पैदाइश एक चमत्कार और निशानी है। ईसा की मिसाल बिना बाप के आदम की सृष्टि जैसी है। निस्संदेह अल्लाह की द्रुष्टि में ईसा की मिसाल आदम जैसी है कि उसे मिट्टी से बनाया, फिर उससे कहा, होजा, तो वह हो जाता है। यह हक़ तुम्हारे रब की ओर से है, तो तुम संदेह में न पड़ना। अब इसके पश्चात कि तुम्हारे पास ज्ञान आ चुका है। (आले-इमरान, 59-60)
जब मरयम गर्भवती बन गई, तो वह अपने क़ौम से दूर हो गई । फिर उसे (मरयम को) उस (बच्चे) का गर्भ रह गया और वह उसे लिए हुए एक दूर के स्थान पर अलग चली गई। (मरयम, 22)
मरयम को प्रसव पीडा का समय आ गया। अन्ततः प्रसव-पीड़ा उसे एक खजूर के तने के पास ले आई। वह कहने लगी, क्या ही अच्छा होता कि मैं इससे पहले ही मर जाती और भूली-बिसरी हो गई होती। (मरयम, 23)
इस समय अल्लाह के नबी ईसा के लिए एक दूसरा चमत्कार प्रकट हुआ । उस समय उसे उस (वृक्ष) के नीचे से (फ़रिश्ते ने) पुकारा, ग़म न कर। तेरे रब ने तेरे नीचे एक स्त्रोत प्रवाहित कर रखा है। तू खजूर के उस पेड के तने को पकड़कर अपनी ओर हिला। तेरे ऊपर ताज़ा पकी-पकी खजूरें टपक पडेंगी। अतः तू खा और पी और आँखें ठंडी कर। फिर यदि तू किसी आदमी को देखे तो कहदेना, मैंने तो रहमान (करुणामय प्रभु) के लिए रोज़े की मन्नत मानी है। इसलिए मै आज किसी मनुष्य से न बोलूँगी। (मरयम, 24-26)
जब वह अपनी क़ौम के पास वापस आयी, तो यह समय पवित्र मरयम के लिए बडा कठोर था। फिर वह उस बच्चे को लिए हुए अपनी क़ौम के लोगों के पास आई। वे बोले, ऐ मरयम, तू ने तो बड़ा ही आश्चर्य का काम कर डाला। ऐ हारून की बहन। न तो तेरा बाप ही कोई बुरा आदमी था और न तेरी माँ ही बदचलन थी। (मरयम, 27-28)
मरयम ने उन्हें कोई उत्तर नहीं दिया, बल्कि तब उसने उस (बच्चे) की ओर संकेत किया। (मरयम, 29)
वे इन्कार करते हुए यह कहा । वे कहने लगे, हम इससे कैसे बात करें जो पालने में पडा हुआ एक बच्चा है? उसने कहा, मै अल्लाह का बन्दा हूँ। उसने मुझे किताब दी और मुझे नबी बनाया। और मुझे बरकतवाला किया जहाँ भी मैं रहूँ और मुझे नमाज़ और ज़कात की ताकीद की, जब तक कि मैं जीवित रहूँ। और अपनी माँ का हक़ अदा करनेवाला बनाया। और उसने मुझे सरकश और बेनसीब नहीं बनाया। सलाम है मुझपर जिस दिन कि मैं पैदा हुआ और जिस दिन कि मैं मरूं और जिस दिन कि जीवित करके उठाया जाऊँ। (मरयम, 30-33)
लेकिन यहूद के एक संप्रदाय ने अनुसमर्थन किया और पवित्र मरयम पर बडा आरोप लगाया । और उनके इन्कार के कारण और मरयम के ख़िलाफ़ ऐसी बात कहने पर जो एक बडा लांछन था। (अन-निसा, 156)
वे पवित्र मरयम पर बलात्कार का आरोप लगाया लेकिन ईशवर ने उनकी बेगुनाही साबित कर दी, उनके बारे में यह कहा । उसकी माँ अत्यन्त सत्यवती थी । (अल-माइदा, 75)
वह ईसा के ईश देवत्व और सन्देश पर विश्वास रखती थी और ईसा को सत्य मानती थी। ईशवर ने अपने रसूल ईसा और उनकी माँ पर अनुग्रह किया । जब अल्लाह कहेगा, ऐ मरयम के बेटे ईसा। मेरे उस अनुग्रह को याद करों जो तुमपर और तुम्हारी माँ पर हुआ है। जब मैंने पवित्र आत्मा से तुम्हें शक्ति प्रदान की, तुम पालने में भी लोगों से बात करते थे और बडी अवस्था को पहुँच कर भी। और याद करो जबकि मैंने तुम्हें किताब और हिक्मत और तौरात और इंजील की शिक्ष दी थी। (अल-माइदा, 110)
ईशवर चमत्कार और अपनी निशानियों से ईसा का समर्थन किया । और याद करो जब तुम मेरे आदेश से मिट्टी से पक्षी का प्रारूपण करते थेः फिर उसमें फूंक मारते थे तो वह मेरे आदेश से उड़नेवाली बन जाती थी। और तुम मेरे आदेश से अन्धे और कोढी को अच्छा कर देते थे और जबकि तुम मेरे आदेश से मुर्दों को जीवित निकाल खड़ा करते थे। और याद करो जब कि मैंने तुमसे इस्राईलियों को रोके रखा, जब कि तुम उनके पास खुली-खुली निशानियाँ लेकर पहुँचे थे, तो उनमें से जो इन्कार करनेवाले थे, उन्होंने कहा, यह तो बस खुला जादू है। और याद करो जब मैंने हवारियों (साथियों और शागिर्दों) के दिल में डाला कि मुझपर और मेरे रसूल पर ईमान लाओ, तो उन्होंने कहा, हम ईमान लाए और तुम गवाह रहो कि हम मुस्लिम (फ़रमाँबरदार) हैं। (अल-माइदा, 110-111)
फिर साथियों ने ईसा को अपने ईशवर से यह प्रार्थना करने को कहा कि वह आसमान से उनके लिए खाने से भरा थाल उतारे । और याद करो जब हवारियों ने कहा, ऐ मरयम के बेटे ईसा । क्या तुम्हारा रब आकाश से खाने से भरा थाल हमपर उतार सकता है ? (अल-माइदा, 112)
ईसा को अपने क़ौम के कृतघ्न करने के कारण उन पर ईशवर के दण्ड का डर हुआ । कहा, अल्लाह से डरो, यदि तुम ईमानवाले हो। वे बोले, हम चाहते हैं कि उसमें से खाएँ और हमारे ह्रदय संतुष्ट हों और हमें मालूम हो जाए कि तुमने हमसे सच कहा और हम उस पर गवाह रहें। (अल-माइदा, 112-113)
ईसा ने अपने रब से प्रार्थना की । मरयम के बेटे ईसा ने कहा, ऐ अल्लाह, हमारे रब। हमपर आकाश से खाने से भरा थाल उतार, जो हमारे लिए और हमारे अगलों और हमारे पिछलों के लिए ख़ुशी का कारण बने और तेरी ओर से एक निशानी हो, और हमें आहार प्रदान कर, और तू सब से अच्छा राज़िक़ है। अल्लाह ने कहा, मैं उसे तुमपर उतारूँगा, फिर उसके बाद तुममें से जो कोई इन्कार करेगा तो मैं अवश्य उसे ऐसी यातना दूँगा जो संपूर्ण संसार में किसी को न दी होगी। (अल-माइदा, 114-115)
वे ईशवर की ओर से आयी हुई कुछ चीज़ों का तिरस्कार किया ।
जहाँ तक बनी इस्राईल के यहूद का संबंध है जो ईशवर के नबी ईसा को झुठलाया, वे अपने इन्कार और हठ धर्मी पर ईसा के दुबारा आने तक बाक़ी रहेगी । और वे गुप्त चाल चले तो अल्लाह ने भी उसका तोड़ किया, और अल्लाह उत्तम तोड़ करनेवाला है। (आले-इमरान, 54)
ईसा को उनके रब ने यहूदियों की चाल से और ईशवर द्वारा अपने शत्रुओं से सुरक्षित रहने का रास्ता बताया । जब अल्लाह ने कहा, ऐ ईसा। मै तुझे अपने क़ब्ज़े में ले लूँगा और तुझे अपनी ओर उठा लूँगा और अविश्वासियों (की कुचेष्टाओं) से तुझे पार करदूँगा । और तेरे अनुपासियों को क़ियामत के दिन तक उन लोगों के ऊपर रखुँगा जिन्होंने इन्कार किया । फिर मेरी ओर तुम्हें लौटना है। फिर मैं तुम्हारे बीच उन चीज़ों का फ़ैसला करदूँगा जिनके विषय में तुम विभेद करते रहे हो। (आले-इमरान, 55)
जब वे वादे तोड़ते रहे, चाल चलने, इन्कार करने, ईशवर के रसूलों की हत्या करने और पवित्र मरयम पर बलात्कार का आरोप लगाने का सदा प्रयास करते रहे, तो ईशवर ने कहा फिर उनके अपने वचन भंग करने और अल्लाह की आयतों का इन्कार करने के कारण और नबियों को नाहक़ क़त्ल करने के दरपे होने और उनके यह कहने के कारण कि हमारे ह्रदय आवरणों में सुरक्षित हैं – नहीं बल्कि वास्तव में उनके इन्कार के कारण अल्लाह ने उनके दिलों पर ठप्पा लगा दिया है। तो ये ईमान थोड़े ही लाते हैं। और उनके इन्कार के कारण और मरयम के ख़िलाफ ऐसी बात कहने पर जो एक बडा लांछन था और उनके इस कथन के कारण कि हमने मरयम के बेटे ईसा मसीह, अल्लाह के रसूल, को क़त्ल कर डाला। (अल-निसा, 155-157)
लेकिन ईशवर ने ईसा को उनके दुश्मनों से मुक्ति दी । हालाँकि न तो इन्होंने उसे क़त्ल किया और न उसे सूली पर चढाया। (अन-निसा, 157)
बल्कि वे ईसा के समान एक दूसरे व्यक्ति की हत्या कर दिये। बल्कि मामला उनके लिए संदिग्ध हो गया । और जो लोग इसमें विभेद कर रहे हैं, निश्चय ही वे इस मामले में संदेह में पड़े हुए थे। अटकल पर चलने के अतिरिक्त उनके पास कोई ज्ञान न था । निश्चय ही उन्होंने उसे (ईसा को) क़त्ल नहीं किया, बल्कि उसे अल्लाह ने अपनी ओर उठालिया । और अल्लाह अत्यंत प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है। (अन-निसा, 157-158)
ईशवर ने अपने रसूल ईसा को सुरक्षित रखा और उन्हें अपने पास बुला लिया। किताब वालों में से कोई ऐसा न होगा, जो उसकी मृत्यु से पहले उसपर ईमान न ले आए। और वह क़ियामत के दिन उन पर गवाह होगा । (अन-निसा, 159)
ईसा इब्ने मरियम की यही सत्य कहानी है। सच्ची और पक्की बात की द्रुष्टि से यह है मरयम का बेटा ईसा, जिसके विषय में वे संदेह में पड़े हुए हैं। अल्लाह ऐसा नहीं कि वह किसी को अपना बेटा बनाए। महान और उच्च है वह। जब वह किसी चीज़ का फ़ैसला करता है तो बस उसे कह देता है, “हो जा” । तो वह हो जाती है। (मरयम, 34-35)
ईशवर ने यह वर्णन किया कि उसको औलाद का होना शोभा नहीं देता क्योंकि हर चीज़ का प्रजापति मालिक वही है, हर चीज़ उसी पर आधारित है और उसीकी मोहताज़ है, आकाश और धरती में जो कुछ है सब उसी के आदेश का पालन करते हैं, वह उनका ईशवर है, उसके अतिरिक्त न कोई ईशवर है और न दूसरा प्रभु ।