सनू 586 में फ्रेंच के एक राज्य में समावेश का आयोजन किया गया। जिसमें स्त्री के बारेमें यह विचार किया गया कि, क्या इसको (स्त्री को) इन्सान समझा जाये या नही और इस समावेश में उपस्थित महा जनों का अंतिम निर्णय यह था कि स्त्री इन्सान है। परंतु स्त्री को पुरुष की सेवा के लिये ही पैदा कियागया है। फरवरी 1938 में एक ऐसा शासन लागू किया गया जो उन सारे नियमों को शुद्ध करता है जो फ्रेंच स्त्री को वित्तीय लेन-देन से मना करते थे, और फिर फ्रांस के इतिहास में स्त्री को यह अधिकार मिला कि वह अपने नाम से ब्यांक में चालू खाता खोले ।