ख़ुरआन महान पुस्तक ने अपनी शक्ति से मुझे बंधी बनादिया। मेरे दिल का मालिक बन गया। ईशवर के सामने आत्मसमर्पण करने वाला बना दिया। ख़ुरआन आख़री लम्हे तक अपने पढ़ने वाले के लिए लाभ दायक है। इस प्रकार कि ख़ुरआन को पढ़ने वाला अपने भीतर प्रजापति ईशवर के सामने तन्हा खड़े होने की भावना पाता है। जब आप ख़ुरआन को गंभीरता से लेंगे, तो आप के लिए साधारण रूप से इसको पढ़ना संभव नही होगा। ख़ुरआन आप पर इस तरह प्रभावित हो जायेगा, जैसे आप पर उसका कोई अधिकार हो। वह आप से बहस करेगा, आपको शरमिन्दा करेगा, आपको चुनौती देगा । मैं एक दूसरे पक्ष पर खड़ा था। फ़िर मुझे यह ज्ञान हुवा कि ख़ुरआन का अवतरित करने वाला मुझे मुझ से ज़्यादा जान्ता है। ख़ुरआन सदा मेरे विचारों से आगे रहता था। वह मेरे प्रश्नों का उत्तर देता है। हर रात मैं अपने प्रशनों को अपने दिमाग़ में रखता था, लेकिन दूसरे दिन मुझे इसके उत्तर मिल जाते थे। मैने ख़रआन के पन्नों में साफ़-साफ़ अपने आप को पाया है।