- एक ही मशाल से
मुहम्मद (स) के संदेश के अंतर्गत यह नही था के आप से पूर्व की जो धार्मिक किताबें हैं उनको गलत ठहराये। परन्तु उसको सच्छ मानना और उन आसमानी किताबों में जो परिवर्तन और उल्लंघन हुआ है उसका खंडन करना है। आप को पूर्व रसोलों की शिक्षा को हर प्रकार की उल्लंघन से साफ करने की, इनको विस्तार करने और इनको संपूर्ण करने की जिम्मेदारी दी गयी। ताकि ये शिक्षा सारे विश्व में रहने वाले मानवों के लिए हर युग और समय में स्वीकृत हो
- नियम और नैतिकता
इस्लामिक सिद्धांत में ख़ानुनी और चारित्रिक ज़िम्मेदारी के बीच कोई अंतर नही है। खानून और चरित्र का यह अनोखा मज़बूत संगम प्रारंभ ही से इस्लामिक विधी के शक्तिमान होने की पुष्टी करता है।