आपसी बधाई संभाषण के बाद राजीव और राषिद ने यह नोट किया कि माइकल बात-चीत प्रारंभ करने के लिए लालायित (इच्छुक) है। तो राषिद ने उससे परिहास करते हुए यह कहाः
बोलो माइकल। क्या तुम ने आज की बैठक के लिए नोकिले तीर तैयार करके आये हो। मैं तो तीरों से बचने के लिए तुम्हारे लापटाप का सामना नही करूँगा ।
माइकलः नही नही संतुष्ट रहो ..... इस बार तुम बिना किसी चिंता के लाप-टाप पर निगाहें जमा सकते हो .... वास्तविक रूप से पिछले वाद-विवाद में मुझे सांस्कृति अन्वेषण और मानवीय उन्नति में मुसलमानों के भाग का ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करने पर प्रोत्साहित किया। किन्तु मैं एक हज़ार एक आविष्कार और रहस्य पुस्तकालय नामक डाक्यूमेंटरी फिल्म देखा। यह फिल्म बहुत छोटा है। केवल 13 मिनट की फिल्म है। लेकिन इस विषय मे ज्ञानवर्धक और आनंद दायक है..... इस फिल्म में यह प्रस्तुत किया गया कि मानव के आधुनिक निर्माण में इस्लामिक सभ्यता की भूमिका क्या रही। इस फिल्म ने 20 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किया है।
इस फिल्म को लघु चित्र की शैली में बनाया गया है। स्कूल से निकाले गये विज्ञान विहार यात्रा में पुस्तकालय के सचिव ने नव युवक छात्रों को एक पुस्तकालय ले गया। इस यात्रा के बीच वे उस काल की खोज करने लगे, जिसको अंधकार का काल नाम दिया गया। इस फिल्म में श्रीमान बिनकिंज़ली ने पुस्तकालय के सचिव की भूमिका निभायी। वह आगे चलकर मुसलमान वैज्ञानिक की भूमिका निभायेगा, और नव युवक छात्रों के सामने कुछ उन मुसलमान वैज्ञानिकों का परिचय प्रस्तुत करेगा जो उस काल में जीवित थे। वे उन्हें इस्लामिक जगत के उस काल में होने वाले आविष्कारों की जानकारी देगा, जो काल 7वीं शताब्दी से 17 वीं शताब्दी तक विस्तरित है। इस काल को अद्भुत इतिहास माना गया, लेकिन इसको सही सम्मान नही मिला।
राषिदः इस फिल्म का सारांश क्या है ? और यह फिल्म क्या बताना चाहती है ?
माइकलः पश्चिम में प्रगति के निर्माण का महत्वपूर्ण कारण इस्लामिक जगत में होने वाले वैज्ञानिक और सांस्कृतिक आविष्कार है, जो विभिन्न धर्मो के मानने वाले वैज्ञानिकों द्वारा नये-नये क्षेत्र प्रस्तुत किये। यह फिल्म संकेत देती है कि यह एक इतिहासिक तत्व है, जो बडी हद तक भुला दी गयी।
राजीवः प्रिय माइकल तुम ने मुझे तो इस बात पर अधिक उत्सुक बना दिया कि मैं तुम्हारी कही हुई बातों का विस्तार से ज्ञान प्राप्त करूँ ।
माइकलः इस विषय में कई प्रकार से स्पष्टीकरण हुवा है। उस में से एक यह है कि इतिहास के एक बहुत बडे आविष्कार, रसायन शास्त्र के वैज्ञानिक और इंजीनियर अल जज़री ने हाथी की घडी का आविष्कार किया, जो इतिहास में एक अद्भुत आविष्कार है। इसी प्रकार अल जज़री ने कई ऐसे तंत्र का आविष्कार किया, जो पृथ्वी के हर कोने में दैनिक जीवन के लिए उपयुक्त मशीनों के लिए महत्वपूर्ण है। निस्संदेह प्राचीन काल के सुविधाओं के अनुसार जिन तकनीकि उपकरणों का उत्पादन हुवा है, उससे यह ज्ञात होता है कि इस वैज्ञानिक ने खेती-बाडी के क्षेत्र में विकास के लिए पानी और हवा की शक्ति का कैसे उपयोग किया ..... इन आविष्कारों में से यह भी है कि स्पेन के चिकित्सक ज़हरावी ने 1000 से पहले-पहले सैकड़ों दवायें, और सर्जिकल उपायो का आविष्कार किया। इस वैज्ञानिक के आविष्कार आज तक वर्तमान काल के अस्पतालों मे रोगियों का जीवन सुरक्षित बना रहे हैं, साथ-साथ यह भी कि इन अस्पतालों में इस वैज्ञानिक के सर्जिकल उपायों का भी उपयोग हो रहा है... इन में से यह आविष्कार भी है कि हसन बिन हैसम पहला वह वैज्ञानिक है, जो इस बात का विवरण करता है कि आँख कैसे देखती है। इस डाक्यूमेंटरी फिल्म में हम मैक्रोस्कोप तकनीकि के कई नमूने देखेंगे, ताकि हमे यह ज्ञान प्राप्त हो कि इब्ने हैसम ने चित्रकारी और फिल्म बनाने के लिए कैसे नियम बनाये।
राजीवः प्रिय माइकल तुम ने तो बहुमूल्य जानकारी दी है। लेकिन केवल तुम अकेले ही नही हो, जो इस विषय के प्रति खोज किया हो। मैंने भी इस विषय में खोज की है। मुझे एक जर्मनी लेखिका सिग्रड हुंके की अद्भुत पुस्तक मिली है। इस पुस्तक का नामः पश्चिम पर देवत्व सूर्य उदित हो रहा है।
माइकलः तुम ने इस पुस्तक में कौन-सी नयी चीज़े देखी ?
राजीवः मैं ने कई ऐसी चीज़े देखी, जिसकी मै संभावना नही कर रहा था। क्या तुम जानते हो कि पश्चिमी भाषाओं में बोले जानेवाले अधिकतर शब्द वास्तविक रूप से अरबी भाषा के शब्द है ? ।
माइकलः निश्चित रूप से यह आश्चर्यजनक बात है। क्या तुम अपनी बात में गंभीर हो ?
राजीवः हाँ। मैं परिहास नही कर रहा हूँ। उदाहरण के रूप से तुम अंग्रेजी भाषा में बोले जानेवाला शब्द काफी, और अन्य पश्चिमी भाषाओं में बोले जानेवाले इस जैसे शब्द अरबी भाषा के शब्द ख़हवा से लिया गया है। इसी शब्द से वह शब्द भी लिया गया है, जो उस स्थान के लिए उपयोग में आता है, जहाँ काफी पी जाती है। Rice शब्द अरबी भाषा के शब्द अरूज़ से लिया गया है, और sofa अरबी भाषा का शब्द सुफ्फा से लिया गया है, इस शब्द का अर्थ मस्जिद के पास पाये जानेवाली छायांकित बैठने की जगह है... बल्कि मैं ने कई ऐसे शब्द भी पाये, जो स्वच्छ वैज्ञानिक अर्थ के लिए उपयोग में आते हैं। वह शब्द अरबी बोलचाल के बिल्कुल समान है, जैसे Alcohol…
इस पुस्तक ने कई ऐसे तत्व मेरे सामने प्रस्तुत किये, जिनका मुझे ज्ञान नही था। लेखिका ने इन तत्वों का सारांश इस रूप में कियाः निस्संदेह पश्चिम अरब वासियों का, और अरबी सभ्यता का आभारी है। अरब का जो खर्ज़ पश्चिम और अन्य महाद्वीप पर है, बहुत बडा है। पश्चिम को इस बात की आवश्यकता है कि वह कई वर्षो से अरब की इस दया को माने। लेकिन विभिन्न धार्मिक सिद्धांत और असहिष्णुता ने हमारी आँखों को अंधा कर दिया, और उस पर परदा डाल दिया।
राषिदः प्रिय राजीव तुम ने तो मुझे उन तत्व का अधिक ज्ञान प्राप्त करने का इच्छुक बना दिया, जिसके प्रति तुम ने कहा कि तुम उसका ज्ञान नही रखते थे।
राजीवः इसी का उदाहरण यह भी है कि मुझे यह ज्ञान नही था कि सब से पहले जिस व्यक्ति ने गैलन की ग़लतियों के प्रति सोंच विचार किया। उसमें आलोचना की, फिर रक्त प्रसरण की दृष्टिकोण प्रधान की, वह व्यक्ति न स्पेन का सर्विटोस था, और न इंग्लैंड का हार्वे था। बल्कि वह तो 13वीं शताब्दी का उत्तम अरबी व्यक्ति था। इसका नाम इब्ने नफीस है। इस व्यक्ति ने हार्वे से 400 वर्ष पहले, और सर्विटोस से 300 वर्ष पहले चिकित्सा के इतिहास, बल्कि मानवीय इतिहास में यह महान खोज की है... मुझे यह ज्ञान नही था कि अरब का मुसलमान वैज्ञानिक इब्ने हैसम वह पहला व्यक्ति है, जिसने यूक्लिड और टॉलेमी की ग़लतीयों को सुधारा है। इन दो वैज्ञानिकों ने यह दावा किया था कि आँखें जब किसी चीज़ को देखना चाहती है तो उसकी ओर अपनी किरणें भेजती है। इब्ने हैसम ने यह घोषणा की कि यह दावा ग़लत है। क्योंकि कोई ऐसी किरण ही नही है जो आँख से निकलती हो। बल्कि देखी जाने वाली चीज़े ही आँख पर किरणें डालती है, फिर आँख अपने नयनों से उसे देखती है... इसी प्रकार मुझे यह ज्ञान भी नही था कि अरब का मुस्लिम वैज्ञानिक अल-बेरूमी वह व्यक्ति है, जिसने खोज किया कि पृथ्वी सूर्य की ओर परिक्रमण करती है और स्वयं अपनी ओर परिक्रमा करती है। यह खोज करने वाला (जैसा कि साधारण रूप से लोगों में मशहूर है) कापर निकस या कोई और नही है.... इसी प्रकार प्राच्य विद्या विशारद लेखिका ने वर्णन किया कि मुसलमान चिकित्सक राज़ी को पूरे इतिहासकारों ने हर समय के लिए सब से महान चिकित्सक माना। किन्तु चेचक और खसरा के प्रति राज़ी का परिशोध पेट के रोगों में सबसे पहला दृढ़ आविष्कार समझा गया। इस परिशोध में रोग का विशलेषण राज़ी ने उत्तम अद्भुत विधि में किया है। यह परिशोथ पश्चिम में अधिक प्रसिद्ध हुवा, यहाँ तक कि वर्ष 1489 से 1866 के बीच इस परिशोध को 40 बार अंग्रेज़ी भाषा मे छापा गया .... लेखिका ने यह भी वर्णन किया कि अरब के लोग उस काल में, (जिसको पश्चिम में अंधकार युग का नाम दिया गया) संज्ञाहरण चिकित्सा का ज्ञान रखते थे। जब कि लोगों का यह विचार है कि आधुनिक काल में इस चिकित्सा का आविष्कार किया गया। हालांकि वास्तविकता और इतिहास यह गवाही देता है कि संज्ञाहरण चिकित्सा की कला उत्तम अरबी कला है, जिसको अरब के वासियों से पहले किसी ने नही जाना ... इस स्थान पर अन्य और भी स्पष्ट है लेकिन हमारे इस जैसे वाद-विवाद में उसका विवरण करना असंभव है।
राषिदः तुम ने जो कुछ कहा, उससे कुछ उन लोगों के दावें ग़लत साबित होते हैं, जो इतिहास की वास्तविकता का ज्ञान नही रखते, या इस बात का तिरस्कार करते हैं कि अरब और मुसलमानों ने मानवता के लिए, विशेष तौर पर प्रायोगिक विज्ञान में कोई नयी चीज़ प्रदान की। जब कि प्रायोगिक विज्ञान की विधि मानवता को अरब और मुसलमानों के हाथों ही मिली है। मुझे यह अनुमति दो कि इस विषय में मै तुम्हारे सामने पश्चिम के वैज्ञानिकों के कुछ विचार प्रस्तुत करूँ
फ्रेंच प्राच्य विद्या विशारद क्लाउड काहिन कहता हैः ... मुसलमान वैज्ञानिक (अपने बौद्धिक विचारों के बावजूद) अमूर्त बुद्धि में ग्रीक वैज्ञानिकों से निम्न थे। लेकिन इसके बदले उन्हों ने प्रायोगिक विज्ञान में अधिक इच्छा दिखायी। आगे चलकर होने वाले वैज्ञानिक उन्नति ने इस इच्छा की महत्वता का विवरण किया। किन्तु जो विज्ञान अरब मुसलमानों ने छोडा, वह उनके दैनिक जीवन में उपयोग होने वाला विज्ञान था। इसी कारण वह विज्ञान जीवित रहा, उसको महानता प्राप्त हुई। राज़ी (एक महान मुस्लिम वैज्ञानिक) ने वैज्ञानिक उन्नति के जारी रहने की संभावना हो खुले शब्दों में विवरण किया था। मध्य काल के अधिकतर आलोचकों के लिए राज़ी का यह विवरण आश्चर्यजनिक था। ... इटली परिशोधक महिला लोरा विशिया फाग्लेरी यह प्रश्न करती है ... क्या प्रायोगिक विधियों की आवश्यकता के प्रति बेकन के द्वारा घोषणा होने से कई वर्षो पहले अरब वैज्ञानिकों ने इसका आविष्कार नही किया ?। रसायन शास्त्र, खगोल विज्ञान की प्रगति, ग्रीक विज्ञान का फैलाव, चिकित्सा अध्ययन शास्त्र, और भौतिक शास्त्र के विभिन्न नियमों की खोज, क्या यह सब अरब के कारनामें नही है ? अमेरिकी दार्शनिक व इतिहासकार वेल्ड्योरान्ट कहता हैः ... निस्संदेह अरबिक ज्ञान ने रसायन शास्त्र में प्रायोगिक ज्ञान की विधि को बढावा दिया। यह विधि आधुनिक ज्ञान का महत्वपूर्ण उपकरण है.... राजर बेकन ने पश्चिम में इस विधि की घोषणा जाबिर बिन हय्यान की घोषणा के 500 वर्ष बाद की। इस विधि की ओर बेकन की मार्गदर्शनी उस प्रकार से हुई, जो उसको स्पेन के अरब मुसलमानों से मिला, और यह प्रकाश भी पूरब के मुसलमानों के प्रकाश का एक छोटा टुकडा है।
यह कुछ उदाहरण है, जिस के प्रति यह कहा जा सकता है कि इस्लामिक अरबी सभ्यता के वह आविष्कार है, जो मानवता को प्रधान हुए।
माइकलः वास्तविक रूप से यह आविष्कार है। इसका तिरस्कार नही किया जा सकता। लेकिन यह भी भूलना संभव नही है कि यह सभ्यता कुछ पिछली सभ्यताओं, जैसे ग्रीक सभ्यता से बनी है।
राषिदः मेरे मित्र वैज्ञानिक प्रगति की यही वृत्ति है कि साधारण रूप से वह मानवीय आविष्कारों की मिली हुई एक ज़ंज़ीर होती है। इसी को सभ्यतागत युग से जाना जाता है, और फ्रेंच प्राच्य विद्या विशारद ऐल्डो मेली ने इसी बात की पुष्टी की हैः ..... यह अरबी ज्ञान प्राचीन सभ्यता और आधुनिक संसार के बीच संबंध की एक कडी है। जब हम इस अरबी ज्ञान का सामना न करे, और उसको न समझे, तो फिर हम ऐसा रिक्त पायेंगे, जिस के कारण प्राचीन सभ्यताओं और हमारी आधुनिक सभ्यताओं के बीच होने वाले संबंध का स्पष्ट करना असंभव होगा ।
हार्वर्ड विश्व विद्यालय में ज्ञान इतिहास विभाग के प्रोफेसर, और आधुनिक ज्ञान की सुबह .... इस्लाम-चीन-पश्चिम नामक पुस्तक के लेखक डाक्टर टोबी हेफ का विचार है कि इस्लामिक अरबी सभ्यता में उमड़ ने वाले ज्ञान व दर्शन का मध्य काल में पश्चिमी परिशोधकों द्वारा होने वाला अनुवाद पश्चिमी बौद्धिक प्रगति में महत्वपूर्ण रूप से प्रभाव रखता है।
लेकिन मुझे यह कहने भी दो इस्लामिक अरबी सभ्यता के आविष्कार कई ऐसे विशेष गुण रखते हैं, जो किसी और सभ्यता में नही। उदाहरण के रूप से कुछ महत्वपूर्ण गुण यह हैः
इस्लामिक ज्ञान कभी धर्म से अलग नही रहा। बल्कि धर्म तो ज्ञान के लिए प्रेरणादायक केन्द्र और प्रोत्साहित करने वाली मुख्य शक्ति है।
और दूसरा महत्वपूर्ण गुण यह है कि मुसलमानों का ज्ञान कोई रहस्य नही था। बल्कि वे तो मानवता के विभिन्न समितियों के बीच इस ज्ञान को फैलाने के लालायित थे। किन्तु मुसलमानों के विश्व विद्यालय शिक्षा पाने के लिए उनके देश पहुँचने वाले पश्चिमी विद्यार्थियों के सामने खुले हुए थे....
मै इस सभ्यता पर गर्व करता हूँ।