इस्लाम शाँति, स्वतंत्रता, भाईचारगी, सम्मान्ता और समान्ता का धर्म है। यह बात इस्लाम के आदेश, नियम और आकार से साफ़ मालुम होती है। (उपवास) इस्लाम धर्म में दूसरे धर्मों के प्रकार नही है। क्योंकि मानव कि दुविधा शारीरिक अवश्यकताओं को दबाये रखने में नही है, जैसा कि साधु करते हैं। इस प्रकार की मानव का शरीर चलते फ़िरते हड्डियों के ढ़ाँचे के समान हो जाता है। इसी कारण इस्लाम धर्म ने शारीरिक अवश्यकताओं को सुधारा, न कि उनको दबाया। इस्लाम में उपवास का उदाहारण मन को हराम(मना) की हुई ग़लत हवस के विरुध में धैर्य और कष्ट का आदी बनाना। बाहीय और अंतरीय जीवन में ईशवर से डरना और भूक-प्यास का मज़ा चकना है। ताकि उपवासी अर्धनि लोगों पर दया करे। इसी प्रकार से उपवास शरीर को दैनिक ख़ुराक से कुछ विश्राम का अवसर देना है। क्योंकि उपवास मानव की आत्मा, बुद्धी, स्वस्थता, और समुदाय के बीच आपसी मिलाप, संघटन और सह्योग के लिए उपयोगी है।