पूर्व काल से अधिक आज कल पश्चिम को इस्लाम की आवश्यकता है, ताकि जीवन को एक लक्ष्य और इतीहास को महत्व मिले, यहाँ तक कि ज्ञान को ईमान से अलग रखने के प्रति पश्चिम के विचार बदल जाये। निश्चय इस्लाम ज्ञान और ईमान के बीच कोई रूकावट नही रखता है, इसके विपरीत इस्लाम इन दोनों को संपूर्ण एकाई समझता है, जो एक दूसरे से अलग नही हो सकते। इसी प्रकार से इस्लाम में यह शक्ती है कि वह उन पश्चीमी समुदायों में जीवन कि किरण फिर से ज़िंदा करदे, जो संसार को आत्महत्या की ओर लेजाने वाले व्यक्तिगत विकास से प्रभावित है ।