जिस व्यक्ति ने पश्चीमी सभ्यता की गहराई को देखा हो। उसकी सारे विषयों का ज्ञान प्राप्त किया हो। इस सभ्यता को ज्ञानिक और वास्तविक रूप से अच्छी तरह परखा हो। तो वह अन्तरीक आत्मा की शक्ती से इस्लामिक सिद्धांत के सामने समर्पण करता है। ताकि इस सिद्धांत द्वारा अपनी प्यास बुजाये।