निश्चित रूप से मैं मुहम्मद (स) से प्रेम करता हूँ, क्यों कि आपकी व्यक्तित्व में बनावट नही थी। रेगिस्थान में जन्म लेने वाले इस व्यक्ति में स्वतंत्र राय थी, केवल स्वयं ही पर निर्भर थे, और अपने बारे में बड-बढ़कर बातें न बताते थे, आप घमंडी नही थे लेकिन आप निम्न शैली भी नही थे। आप अपने पुराने कपडों में भी उसी प्रकार से जीवित थे जिस प्रकार से ईशवर की इच्छा थी। आप साफ-साफ स्वर में रूम और एशिया के राजाओं से बात करते थे, उन्हे इस जीवन और आने वाले भविष्य जीवन की आवश्यकताओं कि ओर बुलाते थे। आप अपने व्यक्तित्व का स्थर जानते थे। और आप दृढ़ संकल्प वाले थे, आज का काम कल पर नही टालते थे।