मै न्ही समझ्ता हूँ कि ज्ञान का धम् के साथ कोई टकराऊ है। वास्तव में मेरी भवना है कि इन दोनो के बीच मज़बूत सम्बंध है। इसलिये मैं यह कह्ता हुँ, कि ज्ञान धर्म के बिना अपाहिज है, और धर्म ज्ञान के बिना अंधा है। ये दोनौ महत्वपूर्णहै। ये दोनौ एक साथ कार्य करते है। मेरि भावना है कि जिस मनुष्य को ज्ञान की और धर्म की यह सच्छाई चौंका न दे तो वह निर्जीव मानव के जैसा है।