- ईश देवत्व के चरित्र
निश्चित रूप से मैं मुहम्मद (स) से प्रेम करता हूँ, क्यों कि आपकी व्यक्तित्व में बनावट नही थी। रेगिस्थान में जन्म लेने वाले इस व्यक्ति में स्वतंत्र राय थी, केवल स्वयं ही पर निर्भर थे, और अपने बारे में बड-बढ़कर बातें न बताते थे, आप घमंडी नही थे लेकिन आप निम्न शैली भी नही थे। आप अपने पुराने कपडों में भी उसी प्रकार से जीवित थे जिस प्रकार से ईशवर की इच्छा थी। आप साफ-साफ स्वर में रूम और एशिया के राजाओं से बात करते थे, उन्हे इस जीवन और आने वाले भविष्य जीवन की आवश्यकताओं कि ओर बुलाते थे। आप अपने व्यक्तित्व का स्थर जानते थे। और आप दृढ़ संकल्प वाले थे, आज का काम कल पर नही टालते थे।
- ईशवर वह है जिसका कोई साझी नही
ईशवर के अतिरिक्त कोई प्रभु नही है। वह एक है, उसका कोई साझी नही है। वह सत्य है। उसके अतिरिक्त हर चीज़ असत्य है। उस ने हमारी सृष्टी की, वही हमें रोटी देता है। निस्संदेह इस्लाम यह है कि हम अपना मामला ईशवर को सौंप दें । उसी के सामने आत्मसमर्पण करें। उसी से सुख प्राप्त करें। उसी पर भरोसा रखें। यह विश्वास रखें कि संसार के संतुलन में ईशवर की तत्वदर्शता ही को पूर्ण शक्ती प्राप्त है। इस संसार और भविष्य जीवन में जो भी हमें नसीब में मिले उस्से खुश रहें। ईशवर द्वारा हमें मिलने वाली हर चीज़, चाहे वह कठिन मौत ही क्यों न हो, हमें उसको मुस्कुराते चहरे और सुखी मन के साथ स्वीकार करना चाहिये। हम यह जानलें कि वही भलाई है। उसके अतिरिक्त कोई और भलाई नही। मानव की यह नादानी है कि वह संसार और उसकी परिस्थितियों को समझने के लिए अपने कमज़ोर दिमाग़ से कोई स्वयं हिसाब बनालें। बल्कि मानव के लिए इस बात की आवश्यकता है कि वह इस ब्रह्माण्ड के लिए न्यायिक नियम होने का विश्वास रखे। चाहे वह अहसास न करपाएँ। यह विश्वास रखें कि ब्रह्माण्ड की स्थापना अच्छाई पर आधारित है, और संसार की आत्मा सुधार पर है। मानव को इस बात का ज्ञान रखने और इस पर विश्वास रखने की आवश्यकता है, और सुखी मन के साथ इसका पालन करें।
- आरोप
भेद-भाव रखने वालों का यह अनुमान है कि मुहम्मद केवल शासन, उच्च स्थान और व्यक्त की इच्छा रखते थे। कदापी, इशवर की ख़सम, जंगलों और खंडरात में रहने वाले इस महान पुर्ष के दिल में सर्वश्रेष्ट आत्मा है। जो दयालुता, प्रेम, भलाई और तत्वदर्शता से भरी हुई है। यह सारे विचार संसारिक लालच के अतिरिक्त है, और ऐसी भावनायें हैं जो शासन और उच्च स्थान कि इच्छा के विपरीत है। क्यों नही, वह एक पवित्र आत्मा है और उस समोह का एख व्यक्ति है, जिसका प्रेरणा और लगातार कोशीशों से ख़ाली होना संभव नही है।